बस होने दो, नई भोर..!

सुन रहा हूँ कब से, एक ओर से, बड़ी देर से, बदलेगा वक्त तेरा, देर से, पर ज़ोर से || बंद होगी मुट्ठी, कदमों में जहाँ होगा, जो होगा, तेरे पास, शायद ही कहीं होगा || सोच में हूँ उसकी, हर रोज़ देखता हूँ, बस उम्र गुजरती है, बड़ी तेज़ गुजरती है || मायूसिओं का […]

Read more "बस होने दो, नई भोर..!"

बड़ी बेबाक़ है जिंदगी…!

बड़ी बेबाक़ है जिंदगी, कान में फुसफुसाती नहीं, धड़ाके से उतर जाती है, मेरे सपनो पर हकीकत लेकर || टूटता है शीशे सा, बिखर जाता है फ़र्श पर, अरमान हैं हमारे, कुछ और नहीं, ज़रा उठाना उसे, फुरसत लेकर || चुभ जाती है, उसकी बेबाकी, बड़ी बेशर्म सी मालूम पड़ती है, कभी मोहब्बत थी, जिंदगी […]

Read more "बड़ी बेबाक़ है जिंदगी…!"

जब तक ये दुनिया, तुझे पागल न कहे…!

हारना जरूरी है, जीतने के लिए, अक्सर कोई जीतता नहीं, पहले खेल में, कई बाज़ी हारने के बाद, सबब याद आया, की कैसे जीत सकता हूँ, मैं अब की खेल में ॥ हारना जरूरी है, पर टूटना नहीं, जो टूट गया, तो फिर खेलेगा कैसे, जिंदगी कई राज खोलती है, मेहनत पर अक्सर, जीत सकता […]

Read more "जब तक ये दुनिया, तुझे पागल न कहे…!"

भिखारी नहीं है साहब, ज़रा ध्यान से देखो…

शर्म हैं आँखों में इतनी, की हम शर्मसार हो जाएँ, फिर भी बेबसी, में हाथ उठाते हैं, सीने की चोट, जब भी पेट में उतरती है, ना चाहते हुए भी, हाथ फैलाते हैं || इंसानियत पर सवारी करते, कुछ लोग बगल से निकल जाते हैं, और फरिश्तों के नाम पर, चंद सिक्के फेककर, जरूरतों को […]

Read more "भिखारी नहीं है साहब, ज़रा ध्यान से देखो…"

कभी सहमे बच्चे देखें हैं…..!

कभी सहमे बच्चे देखें हैं, सड़कों के किनारों पर, लाचार, निसहाय खड़े हुए, बस एक हाथ की आशा में || कोई हाथ, बढ़ाता नहीं, अनदेखा कर, बस चलता है, वो अब भी खड़े हैं, रोटी को, नहीं मिलने पर निराशा में || चल परे भटक, कहीं दूर निकल, सुनकर भी, हाथ बढ़ाते हैं, दिल नहीं […]

Read more "कभी सहमे बच्चे देखें हैं…..!"

मन अपने मन की करता है….!

बड़ा चंचल है, कहीं रुकता नहीं, कहीं एक जगह पर टिकता नहीं, बस घूमता है, नहीं मानता है, बस अपने मन की करता है ॥ अरे अपने मन की करता है, मेरा मन ही है, कोई और नहीं, मैं रोकता हूँ, पर रुकता नहीं, मन अपने मन की करता है ॥ जब पूछता हूँ, कुछ […]

Read more "मन अपने मन की करता है….!"

दुवाओं में जिलाओ मुझे…..

कुछ दूरियों के फासलों पर, मेरी भी, मंजिल है दोस्तों, तुम भी चल रहे हो रास्तों पर, मैं भी चल रहा हूँ दोस्तों ॥ ईमान से बोलूंगा, बड़े ध्यान से सुनना, बात बड़े साफ़ दिल की है, ईमान से सुनना ॥ हाथ उठाया है दुआ में, मैंने तुम्हारे लिए दोस्तों, तुम भी दुआ करो, कुछ […]

Read more "दुवाओं में जिलाओ मुझे….."

जो जलते हैं पर चलते हैं…!

उन जलते क़दमों से पूछो, जो जलते हैं पर चलते हैं, वो नहीं देखते दिन दुपहर, बस सहते हैं, और चलते हैं || और पथ में कंकड़ चुभते हैं, कभी शीशा है, कभी कांटे हैं, है लथपथ पूरे कदम यहाँ, नहीं रुकते हैं, बस चलते हैं || बाधाएँ हैं, विपदाएं हैं, पर दिल को वो […]

Read more "जो जलते हैं पर चलते हैं…!"

सोच का बस फेर है…..!

मान ले तो घुप अँधेरा, ठान ले तो है सवेरा, खेल है ये हौंसलों का, सोच का बस फेर है || दिक्कतें क्या, मुश्किलें क्या, तू बता किसको नहीं है, ठान ले बस आगे बढ़कर, सारी दुनिया ढेर है || आज तक औरों की है, दूसरों के दम पे जी है, खुद से जीना है […]

Read more "सोच का बस फेर है…..!"

बस चलता ही रहूँगा…!

धूल से धुमिल है पथ, फिर भी लेता हूँ शपथ, ना रुकूंगा, ना थकूँगा, बस चलता ही रहूँगा || ना आँधियों के जोर से, ना बिजलियोँ के शोर से, ना डरूँगा, ना रुकूंगा, बस चलता ही रहूँगा || कितना ऊँचा हो मगर, चाहे पर्वतों पर हो डगर, ना गिरूंगा, ना रुकूंगा, बस चलता ही रहूँगा […]

Read more "बस चलता ही रहूँगा…!"