बड़ी बेबाक़ है जिंदगी,
कान में फुसफुसाती नहीं,
धड़ाके से उतर जाती है,
मेरे सपनो पर हकीकत लेकर ||
टूटता है शीशे सा,
बिखर जाता है फ़र्श पर,
अरमान हैं हमारे, कुछ और नहीं,
ज़रा उठाना उसे, फुरसत लेकर ||
चुभ जाती है, उसकी बेबाकी,
बड़ी बेशर्म सी मालूम पड़ती है,
कभी मोहब्बत थी, जिंदगी तुझसे,
आज जीता हूँ बस, नफरत लेकर ||
कितनो को रुलायेगी,
जीने की वजह दे,
जिंदगी नाम है तेरा,
बस नाम कर के बता दे ||
बड़ी बेबाक़ है जिंदगी,
कान में फुसफुसाती नहीं,
धड़ाके से उतर जाती है,
मेरे सपनो पर हकीकत लेकर ||
प्रत्येक पंक्तियाँ लाजवाब है बहुत खूबसूरत कविता।👌👌
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Dhanywaad Madhusudan ji
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बहुत दिनों बाद आना हुआ वर्डप्रेस पर।स्वागत आपका।
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Ek baar phir se mein aapka aabhari hoon!
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