बड़ी बेबाक़ है जिंदगी…!

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बड़ी बेबाक़ है जिंदगी,
कान में फुसफुसाती नहीं,
धड़ाके से उतर जाती है,
मेरे सपनो पर हकीकत लेकर ||

टूटता है शीशे सा,
बिखर जाता है फ़र्श पर,
अरमान हैं हमारे, कुछ और नहीं,
ज़रा उठाना उसे, फुरसत लेकर ||

चुभ जाती है, उसकी बेबाकी,
बड़ी बेशर्म सी मालूम पड़ती है,
कभी मोहब्बत थी, जिंदगी तुझसे,
आज जीता हूँ बस, नफरत लेकर ||

कितनो को रुलायेगी,
जीने की वजह दे,
जिंदगी नाम है तेरा,
बस नाम कर के बता दे ||

4 thoughts on “बड़ी बेबाक़ है जिंदगी…!

  1. बड़ी बेबाक़ है जिंदगी,
    कान में फुसफुसाती नहीं,
    धड़ाके से उतर जाती है,
    मेरे सपनो पर हकीकत लेकर ||
    प्रत्येक पंक्तियाँ लाजवाब है बहुत खूबसूरत कविता।👌👌

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