आखिर तू खुदा हैं, इंसान नहीं हैं….

  जीता हर कोई है, पर आसान नहीं है, क्यों तेरे आसमां के तले, आराम नहीं है ॥ मुक्क़द्दर के जैसे, मैकदे ने भी साथ छोड़ दिया, पीने को बस गम हैं, और कोई जाम नहीं हैं ॥ क्या बुलाया करते हैं लोग, हम अनसुना कर जाते हैं, इन नाम वालों की बस्ती में, हमारा […]

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दुवाओं में जिलाओ मुझे…..

कुछ दूरियों के फासलों पर, मेरी भी, मंजिल है दोस्तों, तुम भी चल रहे हो रास्तों पर, मैं भी चल रहा हूँ दोस्तों ॥ ईमान से बोलूंगा, बड़े ध्यान से सुनना, बात बड़े साफ़ दिल की है, ईमान से सुनना ॥ हाथ उठाया है दुआ में, मैंने तुम्हारे लिए दोस्तों, तुम भी दुआ करो, कुछ […]

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मैंने ईश्वर को देखा है…. !

हर जगह में, मैं मुक्कम्मल नहीं, इसलिए मैंने “माँ” बनाई, बड़े ही शीर्ष पर बैठकर सोचता हूँ, वाह रे तेरी खुदाई || ममता का आँचल बनाया, और दो ममतामयी आँखें, हाथ जब फेरती है सर पर, सारे दुःख दर्द जड़ से भागे || दो आँखें बनाई छलकती सी, ह्रदय भर दिया अपार ममता से, मुझको […]

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जो जलते हैं पर चलते हैं…!

उन जलते क़दमों से पूछो, जो जलते हैं पर चलते हैं, वो नहीं देखते दिन दुपहर, बस सहते हैं, और चलते हैं || और पथ में कंकड़ चुभते हैं, कभी शीशा है, कभी कांटे हैं, है लथपथ पूरे कदम यहाँ, नहीं रुकते हैं, बस चलते हैं || बाधाएँ हैं, विपदाएं हैं, पर दिल को वो […]

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सोच का बस फेर है…..!

मान ले तो घुप अँधेरा, ठान ले तो है सवेरा, खेल है ये हौंसलों का, सोच का बस फेर है || दिक्कतें क्या, मुश्किलें क्या, तू बता किसको नहीं है, ठान ले बस आगे बढ़कर, सारी दुनिया ढेर है || आज तक औरों की है, दूसरों के दम पे जी है, खुद से जीना है […]

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बस चलता ही रहूँगा…!

धूल से धुमिल है पथ, फिर भी लेता हूँ शपथ, ना रुकूंगा, ना थकूँगा, बस चलता ही रहूँगा || ना आँधियों के जोर से, ना बिजलियोँ के शोर से, ना डरूँगा, ना रुकूंगा, बस चलता ही रहूँगा || कितना ऊँचा हो मगर, चाहे पर्वतों पर हो डगर, ना गिरूंगा, ना रुकूंगा, बस चलता ही रहूँगा […]

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पतझड़ में सावन लाना है….!

एक नया आयाम बनाना है, अब मुझको कर के दिखाना है || भूल गया है जग जो, उसे फिर से याद दिलाना है, कितने सावन बीते, अब पतझड़ में सावन लाना है || सूखे पत्तों को जलाकर, अब एक नयी बाग़ बनाना है, एक नया आयाम बनाना है, अब मुझको कर के दिखाना है || […]

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उन उमड़ते बादलों पर ही बरस जाऊंगा…!

देख लेना हैं, दम हैं कितना, और कितनी दूर तक जाऊंगा, बस निकला हूँ घर से यारों, सोचकर के, बड़े दूर तक जाऊंगा॥ लौटा हूँ बहुत बार घर को, देखकर परेशानियों के उमड़ते हुए बादल, इस बार खुद से वादा हैं मेरा, की उन उमड़ते बादलों पर ही बरस जाऊंगा॥ बड़ी टुकड़ों में जी हैं […]

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क्या खूब कहा है….!

हर कदम आगे को बढ़ाना है, जिंदगी चलने का नाम है, क्या खूब कहा है॥ गिरता कौन नहीं ज़माने में, गिर कर सम्भलने का नाम है, बहुत खूब कहा है॥ मायूस यहाँ कौन नहीं, सारे ज़माने में, खिलखिला कर हॅसने का नाम है, क्या खूब कहा है॥ हमारी कौन सी बढ़ रही है, औरों की […]

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एक नयी राह पर निकला हूँ….!

एक नयी राह पर निकला हूँ, इक नया सवेरा लेकर मैं, है जगमग पूरा ह्रदय भरा, अब कोई अँधेरा और नहीं ॥ मन में नया विश्वास लिए, मैं अपने सपनो को साथ लिए, बस दो कदम चला हूँ रस्ते पर, अब कोई निराशा और नहीं ॥ जो बीता गया सो बीत गया, मैं हारी बाज़ी […]

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