हर कदम आगे को बढ़ाना है,
जिंदगी चलने का नाम है,
क्या खूब कहा है॥
गिरता कौन नहीं ज़माने में,
गिर कर सम्भलने का नाम है,
बहुत खूब कहा है॥
मायूस यहाँ कौन नहीं, सारे ज़माने में,
खिलखिला कर हॅसने का नाम है,
क्या खूब कहा है॥
हमारी कौन सी बढ़ रही है,
औरों की तरह ही घट रही है,
बस चार दिन, जिंदगी का नाम है,
बड़ा खूब कहा है॥
कौन सिरहाने पर लेकर सोता है,
बस सांसों में लेकर ढोता है,
बंदिशों को तोड़ना, ये तेरा काम है,
क्या खूब कहा है॥
जी सब रहें हैं, पर मिलती किसी किसी को हैं,
कहीं और क्या ढूंढते हो, हर आदमी को हैं,
अब नज़रिया बदलना आसान हैं,
क्या खूब कहा हैं॥
awsm writer Dear Writer
LikeLiked by 1 person
Thanks Dear…
LikeLike