एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||
भूल गया है जग जो,
उसे फिर से याद दिलाना है,
कितने सावन बीते,
अब पतझड़ में सावन लाना है ||
सूखे पत्तों को जलाकर,
अब एक नयी बाग़ बनाना है,
एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||
दब कर जिया क्या मैं,
अब खुद को फिर से उठाना है,
लौटा हूँ मैं अक्सर,
अब मंजिल को सीधे पाना है ||
ठान लिया है जब ये,
एक नया लक्ष्य सीधाना है ||
एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||
इतिहास उठाकर देखा है,
बड़े ख़ास ख़ास को देखा है,
मैं ही नहीं गिरा पथ पर,
यहाँ गिरा पूरा जमाना है||
एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||
Beautifully written 👌🏻
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Thanks Rohit
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