पतझड़ में सावन लाना है….!

एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||

भूल गया है जग जो,
उसे फिर से याद दिलाना है,
कितने सावन बीते,
अब पतझड़ में सावन लाना है ||

सूखे पत्तों को जलाकर,
अब एक नयी बाग़ बनाना है,
एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||

दब कर जिया क्या मैं,
अब खुद को फिर से उठाना है,
लौटा हूँ मैं अक्सर,
अब मंजिल को सीधे पाना है ||

ठान लिया है जब ये,
एक नया लक्ष्य सीधाना है ||
एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||

इतिहास उठाकर देखा है,
बड़े ख़ास ख़ास को देखा है,
मैं ही नहीं गिरा पथ पर,
यहाँ गिरा पूरा जमाना है||

एक नया आयाम बनाना है,
अब मुझको कर के दिखाना है ||

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