उन उमड़ते बादलों पर ही बरस जाऊंगा…!

देख लेना हैं, दम हैं कितना,
और कितनी दूर तक जाऊंगा,
बस निकला हूँ घर से यारों,
सोचकर के, बड़े दूर तक जाऊंगा॥

लौटा हूँ बहुत बार घर को, देखकर
परेशानियों के उमड़ते हुए बादल,
इस बार खुद से वादा हैं मेरा, की
उन उमड़ते बादलों पर ही बरस जाऊंगा॥

बड़ी टुकड़ों में जी हैं जिंदगी, दोस्तों,
क्या जीया, बस यूँ ही, जी हैं दोस्तों,
जो करना हैं बस आज हैं, कल का छोड़ दिया मैंने,
अब चंद लम्हों में ही, जीऊंगा पूरी उम्र दोस्तों ॥

बस चार हैं या चालीस, गणित थोड़ी सी कमजोर हैं,
ऐसे ही गवायीं जिंदगी, अभी भी थोड़ा जोर हैं,
जो बीत गयी, वो तो आने से रही, यूँ समझो
पर पूरे सूद के साथ जीऊंगा, पूरी उम्र दोस्तों॥

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