उसे कवि यहां पर कहते हैं…!

चार शब्द में कहता है, तोल तोल कर लिखता है, वैसे तो परिभाषा ही नहीं, पर आशा है, तुम समझोगे || कभी तीखे बाण चलाता है, कभी मंद मंद मुस्काता है, कभी व्यंग कटार उठाता है, और, थोड़े में कह जाता है || कभी अंतर मन है, भरा हुआ, कभी निराशाओं में, घिरा हुआ, कभी […]

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